उत्तर प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था

प्रदेश की कानून व्यवस्था फिर शर्मशार



उत्तर प्रदेश सरकार बेहतर कानून व्यवस्था प्रदान करने के दावे करती है। वहीं लाख दावों के बाद भी आए दिन हो रही घटनाएं इन दावों को झूठा साबित करती है। बुलंदशहर में हाईवे पर फिर से एक परिवार के साथ लूट की घटना सामने आई। जबकि अभी तक पिछले बुलंदशहर कांड से पुलिस के दामन पर लगे दाग साफ भी नहीं हो पाए थे कि बुलंदशहर में फिर दरिंदगी का मंजर देखने को मिला। देर रात 2:00 बजे के करीब हाईवे  पर से एक परिवार अपने परिजन को देखने के लिए अस्पताल जा रहा था तभी अचानक ऐक्सल गैंग के 6 बदमाशों ने लूट के इरादे से उन पर हमला कर दिया। हमला कर उन्होंने उस परिवार को बंधक बना लिया फिर वह उन्हें खेतों की ओर ले गए। वहां उन बदमाशों ने अपनी दरिंदगी का प्रदर्शन किया। पहले तो उन्होंने परिवार के पुरुषों के साथ मारपीट की उनको सरिये से मारा फिर  परिवार की महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसे घिनौने काम को अंजाम दिया। पीड़ित महिलाओं में से एक महिला ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए उन बदमाशों से कहा कि मैं 50 साल की हूं तुम लोग मेरे बच्चे जैसे हो। लेकिन ऐसे हैवानों के लिए किसी प्रकार का कोई भी रिश्ता मायने नहीं रखता है। वहीं जब परिवार के एक पुरुष ने बदमाशों को महिलाओं के साथ बदसलूकी करने से रोकने की कोशिश की तो उन बदमाशों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।

प्रदेश में परिवार के साथ लूट के बाद महिलाओं के साथ बदसलूकी की यह कोई पहली घटना नहीं है। बुलंदशहर हाईवे पर या अक्सर सुनसान रास्तों पर बदमाश अपने नापाक इरादों में सफल होते रहे हैं। वह अपनी हरकतों से साफ दर्शाते हैं कि उन्हें किसी प्रकार का कोई भय नहीं है।

बदमाशों ने पहले भी ऐसी ही घटना को अंजाम दिया था। पिछले साल 29 जुलाई की रात बुलंदशहर के पास राजमार्ग पर बदमाशों ने एक परिवार के साथ लूट और फिर मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस घटना ने पूरे देश को  झिंझोर कर रख दिया था। लगातार हो रही कोई ना कोई वारदात सामने आती रहती है और अक्सर हो रही ऐसी घटनाओं से लोगों में कानून व्यवस्था को लेकर विश्वास कम हो रहा है। आखिर जब हमेशा कोई ना कोई वारदात होती रहती है, तो रास्तों पर पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए जा रहे हैं? सुरक्षा के लिहाज से दावा किया जाता है कि रात में पेट्रोलिंग होती है, अगर पेट्रोलिंग होती तो बदमाश यूं ही ऐसी वारदातों को अंजाम देने में सफल ना होते।


आखिर उत्तर प्रदेश में यह कैसी कानून व्यवस्था है? जहां बदमाशों को किसी कानून का कोई डर नहीं है। जहां अक्सर वह कानून को ताक पर रखकर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते पाए जाते हैं। इनसे निपटने के लिए प्रदेश सरकार को कड़ी नीतियों का प्रयोग करने की जरूरत है। नहीं तो जल्द ही ऐसे बदमाश प्रदेश के शासक बन जाएंगे। 

असल में तो इन घटनाओं की जिम्मेदार व्यवस्थापकों के द्वारा हो रही लापरवाहियां है। हर घटना के बाद समय से कार्वरवाई न होना बदमाशों के हौसले और बुलंद करता है। वह जानते हैं कि वह वारदात को अंजाम देकर आसानी से निकल सकते हैं। यह बात इस घटना के बाद साबित भी होती है। वारदात से पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने 2:15 बजे के करीब पुलिस को फोन किया था  लेकिन घटना की सूचना पाने  के बाद भी पुलिस घटनास्थल पर 3:30 बजे पहुंची। उस डेढ घंटे तक वह दरिंदे अपनी दरिंदगी का प्रदर्शन करते रहे। जबकि पुलिस चौकी घटनास्थल से मात्र 20 मिनट की दूरी पर है। 

अभी हाल ही में एक निजी चैनल में साक्षात्कार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह दावा किया था कि पहले कि सरकार के समय पुलिस लोगों की सुनवाई नहीं करती थी समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंचती थी। लेकिन अब उनके कार्यकाल में पुलिस के रवैये में बदलाव आया है। अगर यह सच है तो इस घटना के समय पुलिस कहां थी? क्यों नहीं वह समय से पहुंची? शायद पुलिस अगर समय से पहुंच जाती तो इतनी बड़ी वारदात को होने से रोका जा सकता था। दिन - प्रतिदिन उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था बद से बद्तर होती दिख रही है।

उत्तर प्रदेश में लगातार बदमाशों के हौसले बुलंद होते दिख रहे हैं। अब यह बदमाश दिनदहाड़े सरेराह वारदातों को अंजाम देते हैं। ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हुए वह जरा सा भी नहीं हिचकते हैं। वह सारी कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर अपनी हैवानियत का लगातार प्रदर्शन करते रहते हैं। यह प्रदेश में घटित कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी कई घटनाएं सामने आई है।

14 जून को आगरा - फिरोजाबाद के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर बोलेरो सवार बदमाशों ने एक लूट की वारदात को अंजाम दिया था। उन्होंने फ़िरोज़ाबाद के एक व्यापारी की कार रुकवाकर 46 लाख 10 हजार रुपए कि लूट की।  वहीं मथुरा में बदमाशों ने एक सर्राफा व्यापारी के साथ लूट के बाद उसकी हत्या कर दी। जिसके विरोध में जिले के व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर अपना विरोध जाहिर किया। इस घटना के बाद व्यापारियों ने मथुरा में हुई घटना की निंदा की और मृतक व्यापारी के परिवार के लिए मौन व्रत रखा। बडौत के व्यापारी ने बताया कि उन हालातों में व्यापार करना कठिन हो गया था। साथ ही  योगी सरकार से कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की गुहार भी लगाई थी। 


प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था के उदाहरण कम नहीं है। अभी हालही में  सहारनपुर में भड़की हिंसा से पूरे प्रदेश का माहौल बिगड़ गया था। इस बात की शुरुआत 5 मई को भी हुई थी। सहारनपुर से 25 किलोमीटर दूर शिमलाना गांव में महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन हुआ था। जिसमें शामिल होने के लिए शब्बीरपुर गांव से कुछ लोग शोभा यात्रा निकाल रहे थे। उस दौरान कुछ विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों तरफ से हमला होने लगा। जिसमें उच्च जाति के एक युवा की मृत्यु हो गई। इसके बाद हिंसा इतनी बढ़ गई कि उच्च जाति के लोगों ने दलितों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी कर दी। इस घटना से गुस्साए दलितों के संगठन भीम आर्मी ने एक विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा में एक पुलिस चौकी फूंक दी गई और वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। अगर समय से इस बढ़ती हिंसा पर काबू पाने की कोशिश की जाती तो शायद माहौल इतना ना बिगड़ता। लेकिन व्यवस्था सुधारने की वजह राजनीतिक पार्टियां आरोप प्रत्यारोप लगाने में लगी रहती हैं।

अक्सर शहर को ऐसी वारदातों की वजह से शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। इंसानियत शर्मशार होती है और हैवानियत अपने चरम पर होती है। इन घटनाओं से साफ - साफ प्रतीत होता है कि प्रदेश का माहौल कितना अच्छा है।

आजादी के पहले हम आजाद नहीं थे यह तो समझ आता था। लेकिन अब जब कहा जाता है कि हम आजाद हैं तब लोग इन घिनौनी वारदातों की वजह से  घर के अंदर रहने को मजबूर हैं, वह मजबूर है कि रात में बाहर ना निकले, सुनसान रास्तों पर सफर ना करें, किसी बदमाश का विरोध ना करें नहीं तो वह उनके साथ मारपीट कर सकता है या उनकी हत्या कर सकता है। 

इस से बेहतर तो वह समय था जब हम आजाद नहीं थे। कम से कम एक तसल्ली होती थी कि हम गुलाम हैं इसलिए हमारे साथ ऐसा हो रहा है।लेकिन अब हम आजाद होकर भी आजाद नहीं रह सकते। इस माहौल से उभरने के लिए जरूरी है कि प्रदेश सरकार कुछ ठोस कदम उठाए और लोगों को सुरक्षित माहौल मुहैया कराए।


कहते हैं इंसान सबसे ज्यादा सुरक्षित अपने देश में महसूस करता है। लेकिन ऐसी वारदातों के कारण सबके अंदर एक डर की भावना उत्पन्न होती जा रही है। पहले तो सिर्फ लड़कियां और बच्चे अकेले निकलने में डरते थे, लेकिन अब तो लोग अपने परिवार के साथ भी रास्तों पर सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। प्रदेश को एक सुरक्षित माहौल देने के लिए सरकार को कानून व्यवस्था पर काम करने की जरूरत है। ताकि लोगों को यह भरोसा हो सके कि वह सुरक्षित हैं। 








No comments:

Post a Comment

जिंदगी के अनमोल रिश्ते

जन्म होते ही बनते रिश्ते जिंदगी के अनमोल रिश्ते पालने में झुलता बचपन नए रिश्ते संजोता बचपन औलाद बनकर जन्म लिया संग कई रिश्तों को जन्म द...