नक्सलवाद और आतंकवाद एक जटिल समस्या बन चुकी है। यह दोनों ही देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं। दोनों ही समस्याएं देश के लिए नासूर बनती जा रही है। आए दिन हो रहे हमले देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं। यह दोनों वाद मिलकर देश की वादी को मैला कर रहे हैं।
नक्सलवाद और आतंकवाद एक जटिल समस्या
नक्सलवाद और आतंकवाद एक जटिल समस्या बन चुकी है। यह दोनों ही देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं। दोनों ही समस्याएं देश के लिए नासूर बनती जा रही है। आए दिन हो रहे हमले देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं। यह दोनों वाद मिलकर देश की वादी को मैला कर रहे हैं।
सुनसान रास्तों पर भी जरूरत एंटी रोमियो दल की
अहम है मुख्यमंत्री का छुटिट्यां रद्द करने का फैसला
संवैधानिक अधिकार पर विचार
संवैधानिक अधिकार पर विचार
शोर-शराबे पर लगे लगाम
शोर-शराबे पर लगे लगाम
हमारे समाज में अगर मस्ती की बात आए तो शादी का समय उसके लिए सबसे ऊपर आता है। शादियों के सीजन में मौज मस्ती जायज है। लेकिन उस मौज मस्ती के साथ बढ़ता ध्वनि प्रदूषण सेहत के लिए हानिकारक होता है, साथ ही लोगों को परेशान भी करता है।
जैसा कि सब को पता है कि मार्च से लेकर मई का महीना शादियों की तारीख से भरा रहता है। वहीं लोग यह भी जानते हैं कि इन्हीं महीनों में परीक्षाएं भी होती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। जैसे कि रात को 10 बजे के बाद शादियों में कोई पटाखों का प्रयोग नहीं करेगा, मंदिर मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल में लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं होगा, यदि घर में कोई आयोजन है तो 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर का प्रयोग करना सख्त मना है। लेकिन सारे नियमों को ताक पर रखते हुए लोग अपनी मनमानी करते रहते हैं। बारात चाहे रात को 9 बजे निकले या 12 बजे के बाद लोग उसी धूम-धाम और शोर शराबे के साथ निकलते हैं। इस तरह से वह सिर्फ नियम ही नहीं तोड़ते बल्कि लोगों को परेशान भी करते हैं।
मार्च-अप्रैल के महीने में 12वीं की बोर्ड, यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं होती हैं। लगभग सभी लोग रात में ही पढ़ाई करते हैं। ऐसे में जब बारात निकलती है तो उसके शोर-शराबे से लोगों को काफी परेशानी होती है।
नियम तो बने हुए हैं लेकिन उन पर अमल कोई नहीं करता है। ना ही इस तरफ प्रशासन ध्यान देता है। यह बात तो किसी से नहीं छुपी हुई है कि रात को 12 बजे के बाद भी लाउड स्पीकर का प्रयोग जारी रहता है।
हाल ही में मशहूर गायक सोनू निगम ने मस्जिद में आजान से होने वाली आवाज का विरोध किया। जिसके लिए उन्हें बहुत भला बुरा कहा गया। पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक युनाइटेड काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य का बयान दिया है, 'यदि कोई उनका सिर मुंडवा कर, उनके गले में जूते की माला डालकर देश में घुमाएगा तो मैं खुद उस शख्स के लिए 10 लाख रुपये के पुरस्कार का एलान करता हूं। हालांकि बाद में सोनू निगम ने अपना सिर मुंडवाकर यह सिद्ध किया कि वह कुछ गलत नहीं कह रहे और अपनी बात पर वह टिके हुए हैं। आखिर सोनू निगम ने क्या गलत कहा था। उन्होंने तो सिर्फ जो नियम बने हुए उनका पालन करने के लिए कहा था। जिसके लिए उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया।
प्रशासन को हमेशा हो रही ऐसी मनमानी को रोकने के लिए कुछ प्रयास करने चाहिए। जो नियम बने हुए हैं पहले से कम से कम लोग उन पर अमल करें इसके लिए कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।
सरहद पर अगर ना होता जवान
सरहद पर अगर ना होता जवान
सोचो क्या होता देश का अंजाम,
ऐसे में जवान पूछे बस यही सवाल
कौन आएगा फिर इस देश के काम...
भले करें ना करें कोई इनका ख्याल
फिर भी बने रहते ये देश की ढाल,
ऐसे में जवान पूछे बस यही सवाल
वो ना हो तो क्या हो इस देश का हाल...
सदा बना रहे देश का सम्मान
इसके लिए दे देते वे अपनी जान,
ऐसे में जवान पूछे बस यही सवाल
क्या यह भूलना है अासान...
अपनों के लिए अपनों से हैं दूर
सब कुछ सहने को हैं मजबूर,
ऐसे में जवान पूछे बस यही सवाल
अपमान के क्यों पीने पड़ते हैं घूंट...
शरहद पर दुश्मन को देते हैं मात
चाहे जितने भी मुश्किल हों हालात
ऐसे में जवान पूछे बस यही सवाल
आखिर कौन कौन देगा हमारा साथ...
आए हैं आते रहेंगे,जान अपनी लुटाते रहेंगे,
आखिर में जवान कहता है बस यही बात
हमारी परवाह करो ना करो
हम अपना कर्तव्य निभाते रहेंगे।
कोई पत्थर से ना मारे इन जवानों काे
संचार के बदलते माध्यम
संचार के बदलते माध्यम
कबूतर जा.. जा.. जा.. कबूतर जा....... चिट्ठी आई है.. आई है.. चिट्ठी आई है.......
कबूतर का उपयोग:-
कबूतरों से जुड़े कुछ तथ्य:-
- 19 वीं सदी में होने वाले विश्वयुद्ध तक कबूतर के माध्यम से संदेश भेजा जाता था।
- कबूतरों के उड़ने की रफ्तार 16 मील प्रति घंटा होती थी।
- वह अपनी जगह से 1600 किमी आगे जाने पर भी रास्ता भटके बिना वापस आ जाते थे।
दूतों द्वारा संदेश भेजना:-
तार का प्रयोग:-
तार से जुडे़ कुछ तथ्य:-
- पहली बार स्काॅटलैंड के वैज्ञानिक डाॅ. माडीसन ने 1753 में तार द्वारा संदेश भेजने का प्रयोग किया।
- भारत में तार की शुरूआत 1853 में हुई।
डोट फोन से जुडे़ कुछ तथ्य:-
- इसका आविष्कार ऐलेक्जेंडर ग्रैहैम बेल व उनके सहायक टाॅमस वाट्सन ने किया।
- 10 मार्च 1876 ई ़ में यह यंत्र बनकर तैयार हुआ।
सेल/मोबाइल से जुडे़ कुछ तथ्य:-
- 1947 में यूएस में सबसे पहला मोबाइल फोन बना।
- आम आदमी को मोबाइल सुविधा 1973 में मिली।
जिंदगी के अनमोल रिश्ते
जन्म होते ही बनते रिश्ते जिंदगी के अनमोल रिश्ते पालने में झुलता बचपन नए रिश्ते संजोता बचपन औलाद बनकर जन्म लिया संग कई रिश्तों को जन्म द...
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बंधी एक अनदेखी डोर ऐसी अब जिंदगी रही न पहले जैसी एक पल में सब कुछ बदल गया लोग कहते हैं तेरा ब्याह हो गया महिनों चलती रहीं तैयारियां लगत...