नए जमाने में मेंहदी के नए अंदाज


मेंहदी हर लडकी और औरत के हाथों की रौनक होती है। इस के रंग से हाथों का रंग और निखर आता है। हमारे यहां मेंहदी शादी की रस्मों का एक अहम हिस्सा है। इतर मेंहदी के रंग सिर्फ शादी तक ही नहीं सिमटें हैं बल्कि यह रक्षाबंधन जैसे त्योहार में भी उतना ही महत्व रखती है। मेंहदी को मेंहदी या हीना के नाम से तो हर कोई जानता है पर शायद यह बहुत कम जानते हों कि मेंहदी शब्द संस्कृत शब्द “मेंहधिका“ से  बना है।
  कहते हैं समय के साथ फैशन के चलते बदलाव आते हैं और कई चीजें फैशन के साथ खत्म हो जाती है। औरतों में यह बदलाव अधिकतर देखने को मिलते हैं। उन्हें ऋंगार की कई चीजें ओल्ड फैशन लगने लगी हैं। पर मेंहदी ने अपनी पकड़ औरतों के दिलों में वैसे ही बनाए रखी है जैसे की दादी - नानी के समय में थी। पहले भी उनका ऋंगार बिना मेंहदी पूरा नहीं होता था जैसे की अब। हालांकि अब बदलते दौर के साथ मेंहदी सिर्फ औरते ही नहीं बल्कि पुरूषों के लिए भी शादी की रस्म का हिस्सा है।
समय के साथ बदलती मेंहदी
दादी - नानी के समय में मेंहदी की रस्म केवल शादी की रस्मों का हिस्सी होती थी। तब के समय में कोई कुछ नया नहीं सोचता था। मेंहदी के नाम पर बस हाथों में गोल आकार में मेंहदी लगा बस रस्म को पूरा करती थी। जबकि अब मेंहदी की रस्म को पूरी उत्सुकता के साथ मनाया जाता है। लोग स्पेश्यली मेंहदी की रस्म के लिए तरह तरह के डिजाइंस लगवाने के लिए लड़के व लड़कियों को बुलवाते हैं। पहले मेंहदी बस गोल आकार में लगती थी पर अब मेंहदी में काफी वैरायटी आ गई है। अब अरेबिक, टैटू मेंहदी व ब्रैस्लेट टाइप मेंहदी का चलन है।

समय के साथ बदलते मेंहदी के रंग
कुछ समय पहले तक मेंहदी का एक ही रंग सब जानते थे पर अब बदलते समय के साथ मेंहदी के रंग भी बदल गए हैं। पहले मेंहदी का रंग सिर्फ भूरा होता था पर अब तो काली व लाल रंग की मेंहदी भी बाजार में आने लगी है। और साथ ही टैटू वाली मेंहदी में तो अनेक रंग एक साथ ही देखने को मिलते हैं। जो की मेंहदी को और भी आकर्षक बनाते हैं।

कैसे घर बैठे सीखें आकर्षक मेंहदी लगाना

अगर आप मेंहदी के शौकीन हैं पर यही सोचते हैं कि कैसे लगाए डिजाइनर मेंहदी तो परेशान मत हों। मेंहदी लगाना अब पहले जितना मुश्किल नहीं है। अगर आपको चाहिए आकर्षक और न्यू डिजाइंस तो आप नेट पर सर्च कर सकते हैं या एप डाउनलोड कर सकते हैं। जिसमें की आपको हर तरह के व बेहतरीन डिजाइन मिल सकते हैं। यदि आप यह नहीं करना चाहतीं हैं तो आप मेंहदी डिजाइन की बुक्स मंगा सकती हैं। मेरी सहेली वालों ने स्पेश्यली मेंहदी डिजाइंस की किताबें निकालना शुरू किया है तो आप वह किताबें घर भी मंगवा सकती हैं।
कैसे चढ़े मेंहदी का गहरा रंग
मेंहदी लगने के बाद मेंहदी का रंग भी परेशानी का कारण होता है। पर नीचे दिए गए अलंक्रिता, नई दिल्ली की क्रिएटिव हेड, राशी अग्रवाल द्वारा दिए गए कुछ आसान उपाय करने से हो सकता है मेंहदी का रंग और भी गहरा जैसे की:-

  • अपने हाथों पर मेंहदी लगवाने से पहले, अपने हाथों को अच्छे से धोएं और इनपर आम भाषा में मेंहदी का तेल कहे जाने वाला सिट्रोनेला आॅयल लगाएं।
  • अपनी मेंहदी को लेकर बेसब्र न हों। इसे अपने हाथों में कम से कम 4-5 घंटों के लिए रहने दें।
  • सूखने के बाद इसे धोकर हटाने के बजाय खुरच के हटाएं। इसे हटाने के बाद 24 घंटों तक पानी में हांथ न डालें जिससे मेंहदी आपके हाथों पर आॅक्सीडाअस होकर हल्के आॅरेंज से मरून और फिर गहरे भूरे रंग में बदल जाए।
  • मेंहदी हटाने के बाद इस पर सरसों का तेल लगाएं। आप इस पर आयोडेक्स, टाइगर बाम, विक्स या तिल का तेल भी लगा सकती हैं। ये बाम और तेल आपके हाथों को गरमी देते हैं, जिससे मेंहदी का रंग अच्छा चढ़े।
  • मेंहदी के घोल में लौंग का तेल मिलाना भी अच्छा तरीका है। मेंहदी हटाने के बाद आप गर्म तवे पर लौंग डालकर उसका धुंआ अपने हाथों को दे सकती हैं।
  • कुछ मेकप एक्सपर्ट सलाह देते हैं मेंहदी पर पतली परत फाउंडेशन की लगाने की, जिससे कुछ घंटों में इसका रंग गहरा हो जाए। इसके पीछे लाॅजिक ये हो सकता है कि फाउंडेशन हाथों की गर्मी के साथ मिलकर आॅक्सिडाइस होकर मेंहदी को एक गहरा रंग देता है।
  • अगर सर्दियों में मेंहदी लगवाती हैं तो हाथों को किसी रजाई या कंबल से ढक लें तो सुबह तक इसकी गर्मी से आपकी मेंहदी का रंग अच्छा चढ़ जाएगा।
  • अगर रंग नहीं चढ़ता है तो परेशान न हों आप बस अपने हाथों में एक पतली परत भीगे हुए चूने की लगा लें- ये एक प्रोफेशनल ट्रिक है पर ये तभी काम करेगी अगर आपने हाथों में पानी नही डाला है।

अगर आप को लगवानी है इंस्टेंट मेंहदी तो आपके पास पहले एक ही जरिया पार्लर ही होता था। पर अब यह जरूरी नहीं की आप मेंहदी लगवाने पार्लर ही जाएं। अब तो बाजारों में भी आप कहीं से भी मेंहदी लगवा सकती हैं। क्योंकि त्योहार के समय में पार्लरों में काफी भीड़ हो जाती है तो आप गोविंदनगर में चावला मार्केट के पास मेंहदी लगवाने वालों से मेंहदी लगवा सकती हैं। साथ ही गुमटी में सागर मेंहदी आर्ट भी एक अच्छी चाइस है।

घटती मानवीय संवेदना

नौबस्ता क्षेत्र के बसंत विहार में मासूम बच्ची का क्षत विक्षत शव मिलने के बाद मानवता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस वारदात के बाद कुछ ऐसे सवाल उत्पन्न हो रहे हैं जिनके जवाबदेह पुलिस और प्रशासन दोनों ही हैं। जैसे की यह प्रदेश में कैसा जंगलराज है जो कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर कोई भी गुनाह करने के पहले एक बार भी नहीं सोचता है। क्योंकि यह प्रदेश में घटित कोई पहली घटना नहीं है इसके पहले भी शिवम व करन महेश्वरी का हत्याकांड भी सामने आया था। जिसने मानवता को तार तार कर दिया था। प्रदेश में बार बार हो रही ऐसी वारदातों के साथ ही यह भी सोचने वाली बात है कि क्या आज इंसान किसी दूसरे इंसान पर भरोसा कर भी सकता है। इसका उत्तर तो हर कोई दे सकता है। आखिर हत्यारों को किसी भी कानून का डर क्यों नहीं है इसमें दोष तो कानून व्यवस्था का ही है। प्रशासन को कुछ ऐसा करना चाहिए की लोगों में डर उत्पन्न हो और ऐसी वारदात दोबारा न हो। अब देखने वाली बात ये भी है की यह अपराधी पुलिस की गिरफ्त में कब तक आते हैं।  इस मासूम बच्ची के हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ कर उन्हें सख्त सजा देनी चाहिए ताकि लोग अपराध करने से पहले सौ बार सोचें। और दोबारा प्रदेश में ऐसी कोई घटना सामने न आए।

सोच बदले देश बदलेगा

वैसे तो कहते हैं नेता देश को आगे बढ़ाने की बात करते हैं व देश के युवाओं के लिए मार्गदर्शक होते हैं। परंतु असल में हकीकत कुछ और ही प्रतीत हो रही है। हालही में बेंगलुरू में नए साल के जश्न के दौरान एकत्रित हुई युवतियों से हुई छेड़छानी को लेकर कई विवादित बयान सामने आए। सबसे पहले कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वरम ने बयान दिया जिसमे उन्होंने इस घटना का जिम्मेदार पश्चिमी सभ्यता को ठहराया है। वैसे तो देश के विकास की बात पश्चिमी विकास को देखकर व उनके उदाहरण देकर ही करी जाती है। पर लड़कियों को लेकर पश्चिमी सभ्यता को गलत ठहराया जाता है। एक सभ्यता को लेकर यह कैसे दोहरे विचार है। वहीं अब सपा नेता अबू आजमी ने जी परमेश्वरम का समर्थन करते हुए कहा है “लड़के - लड़कियों को इधर - उधर घूमने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पश्चिमी संस्कृति ने भारत में दखल दे दी है। इसे रोकना होगा। उनका कहना है की जहां चीनी होगी वहां चीटियां तो आएंगी ही”। अबू आजमी के मुताबिक लड़कियों के छोटे कपड़े ऐसी वारदात के जिम्मेदार हैं। अपने ऐसे बयानों से क्या वह शरियत कानून को थोपना चाहते हैं। इनके ऐसे बयान कट्टरपंथी फतवे जैसे है। नेताओं के ऐसे भड़काऊ बयान से मनचलों को तो खुली छुट मिलेगी। ऐसा मार्गदर्शन पा कर वह देश को किस राह पर ले जाएंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। पीड़ित इंसाफ की गुहार लगाने किनके पास जाएंगे जब वह ऐसी सोच रखते हों।
अगर ऐसी वारदातों के लिए पश्चिमी सभ्यता ही जिम्मेदार है तो पहले नेता यह बताएं की वह अपने बच्चों को शिक्षा के लिए पश्चिम क्यों भेजते हैं। क्या वह अपने साथ पश्चिमी सभ्यता को साथ लेकर नहीं आएंगे। नेता चाहें किसी भी पार्टी के हो पर अक्सर ऐसी वारदातों पर सब एक दूसरे के बयानों का समर्थन करते हैं। तो यह कहा जा सकता है कि “सब एक थाली के ही चट्टे बट्टे हैं। जब देश को चलाने वालों की सोच ऐसी होगी तो देश में चलने वालों को दोष कैसे दे सकते हैं। इन मनचलों को सजा मिलने के साथ साथ कार्रवाई ऐसे नेताओं पर भी अवश्य होनी चाहिए। नही ंतो देश की महिलाएं अपने देश में ही सुरक्षित नहीं रह पाएंगी।  

गंगा के लिए कारगर कदम जरूरी



 गंगा को स्वच्छ रखने के लिए दशकों से प्रयास किए जा रहे हैं पर वह सफल  होते दिख नही रहे। इस की सफाई को लेकर हर साल बजट तैयार करा जाता है लेकिन मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीें दिखती। जिसके चलते गंगा को साफ रख सके, साफ करने की कोशिश में व्यवस्थाएं तो करी जाती है पर असल में उसके गंदा होने के कुछ मुख्य कारण हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार गंगा में गंदगी, मानक से दोगुना अधिक है। उस पर से उसमें आ रहा काली नदी का पानी उसमें और इजाफा कर रहा है। यह नदी कन्नौज के महादेवी वर्मा घाट पर गंगा में जाकर मिल जाती है। वहीं दूसरी तरफ कानपुर शहर से होकर निकली पांडू नदी भी, फतेहपुर के पास बुनीर नामक स्थान पर इसमें जाकर मिल जाती है। पांडू नदी का पानी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार इतना खतरनाक है कि उसको छुते ही शरीर में खुजली होने लगती है तो इससे अंदाजा लगा सकते है की इसका पानी हमारे लिए कितना खतरनाक है। आसपास के गंदे नालों का पानी तथा कई जिलों की गंदगी भी उस में गिराई जाती है। तो पहले यह सब रोकना चाहिए क्योंकि गंगा को साफ करने का कोई फायदा नहीं है अगर इस तरह उसमें गंदगी ही बहानी है। यह तो वही बात हो गई अगर अपना घर साफ है तो गंदगी है ही नहीं।

 गंगा में गंदगी होने का कारण स्थानिय लोग भी हैं क्योंकि लोग पूजा में इस्तेमाल किए फूल गंगा में ही विसर्जित कर देते हैं। वह फूल उसमें ही सड़ जाते हैं और उसके प्रदूषित होने का कारण बनते हैं। पहले इन कारणों पर लगाम लगाना आवश्यक है। ऐसे कानूनों का गठन करना चाहिए की लोग उसमें विसर्जन के नाम पर कचरा डालना बंद कर दें।
ऐसे हालातों को देखते हुए केंद्र व प्रशासन का सक्रिय होना आवश्यक हैं। पहले इन को रोकने के लिए कुछ सख्त कानूनों का गठन करना चाहिए। लोगों में गंगा को लेकर जागरूकता बढ़ानी चाहिए। बाद में टेनरियों को हटाने या न हटाने पर विचार करें।

नए साल में नए अंदाज


कड़ाके की ठंड के साथ ही नया साल भी दस्तक देने वाला है। देश विदेश हर तरफ लोग नए साल के जश्न की तैयारी में लगे हुए हैं। नए साल का जोश सबसे ज्यादा युवाओं में देखने को मिलता है। पहले के समय में लोगों के लिए नए साल का मतलब केवल कलेंडर में तारिख बदलना होता था। परंतु अब नए साल की बात आते ही लोगों के मन उमंग से भर जाते हैं। आज के समय में यह होली दिवाली से कम नहीं रह गया है लोग इसको भी एक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
अक्सर नए साल पर लोग घरवालों के साथ बाहर घूमना तथा युवा यार दोस्तों के साथ पार्टी प्लान करते थे। पर वहीं कुछ लोग कड़ाके की ठंड के कारण घरों में दुबके बैठे रहते हैं। वह नए साल को नए तरीके से मनाना तो चाहते हैं पर ठंड के कारण पीछे हट जाते हैं।
अगर ठंड आपको भी रोक रही है आप भी नए साल को बिना बाहर निकले नए तरीकों से मनाना चाहते हैं तो परेशान न हों हम देंगे आपको पुराने व घरेलू तरीकों से कुछ नए टिप्स जिनसे की आप घर बैठे ही नए साल की इंटरस्टिंग प्लानिंग कर सकते हैं। क्योंकि कहते हैं न ”ओल्ड इज गोल्ड“। तो बस ओल्ड वेज़ में गोल्डन न्यू ईयर प्लानिंग आप कुछ इस प्रकार कर सकते हैं


  • औरतें घर पर ही रहकर अलग अलग तरह की डिंक्स, नए प्रकार के केक व स्वीट डिश की रेसीपीज़ ट्राई कर सकती हैं तथा बच्चों के लिए घर पर ही स्नैक्स तैयार कर सकती हैं। जिससे कि वह घर बैठे ही नए साल का आनंद ले पाएंगी।
     
  • पुरूष लोग घर पर ही थिएटर प्लानिंग कर सबके मनोरंजन का इंतजाम कर सकते हैं। हालही में कई मनोरंजक फिल्मों ने बाॅक्स आॅफिस पर दस्तक दी है जैसे की आमिर खान की दंगल इस प्रकार की फिल्में घरवालों के साथ बैठकर देख सकते हैं। घरवालोें के लिए विभिन्न स्थानों पर गिफ्ट्स प्लांट कर उन्हें सरप्राइज दे सकते हैं, जिससे कि घरवाले बहुत खुश होंगे। 
  • घर के युवा लोग अपने दोस्तों को घर पर ही बुला कर पार्टी कर सकते हैं घर पर ही दोस्तों व घरवालों के साथ फोटो शूट करा सकते हैं जिससें कि वह एंजाॅय भी करेंगे और यादें भी संजो पाएंगे। सब आपस में अपने न्यू ईयर रिजोल्यूशन शेयर कर सकते हैं जिससे कि वह कुछ नया सीख भी पाएंगे। इस तरह वह बिना घर से बाहर निकले एक शानदार न्यू ईयर ईव प्लान कर सकते हैं।
  • बच्चे लोग घर का डेकोरेशन कर घरवालों का हाथ बंटा सकते हैं जिससे वह कुछ नया सीख पाएंगे। साथ ही 12 बजे तक खेल खेल सकते हैं जैसे की प्लेइंग कार्ड जो की वह परिवार के सदस्यों के साथ खेल समय का आनंद  ले सकते हैं। 

इस तरह के कुछ तरीकों से आप बिना बाहर निकले घर पर ही रहकर नए साल का मनोरंजक अंदाज में आनंद ले सकते हैं।
कुछ लोगों के प्लान नए साल को लेकर:-

  • नौबस्ता की हेमा : वह हर साल अपने घरवालों के साथ बाहर घुमने का प्लान करती हैं पर इस साल सर्दी के कारण बाहर नहीं जाना चाहती हैं। तो वह घरवालों के लिए घर पर ही रहकर केक व डिशेज़ बनाएंगी और अपने अन्य परिवार वालों को घर पर इन्वाइट कर एंजाॅय करेंगी। रात में 12 बजे केक काटकर नए साल की शुरूआत करेंगी।
  • राजीव विहार के हेमंत : इस साल वह घरवालों के साथ बाहर पार्टी न करके घर पर ही रहेंगे। वह घर पर ही रहकर टीवी देखेंगे और बच्चों की डेकोरेशन में मदद करेंगे। 

समायिक स्वच्छता अभियान



भारत में स्वच्छता को लेकर कई स्वच्छता अभियान चलाए जाते है। वह अभियान कुछ समय के लिए तो निरंतर प्रक्रिया में चलते है फिर समय के साथ ढीले पड़ जाते है। हमारे देश में तो समायिक स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। क्योंकि अगर किसी शहर में कोई मंत्री आ रहा होता है तो इस पर पूरी तरह ध्यान जरुर दिया जाता है। कभी - कभी तो लगता है यह अभियान सिर्फ दिखावे के लिए ही होते है। हालही में 19 दिसंबर को प्रधानमंत्री के शहर के निराला नगर रेलवे ग्राउंड में आने पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। निराला नगर के आसपास के क्षेत्रों में कुछ समय के लिए फिर स्वच्छता अभियान चलाया गया। उन दिनों न तो सड़कों पर गंदगी थी और न ही रास्तों पर गढढ्े दिखाई दिए थे। जितनी सफाई वहाँ वर्षों से नहीं दिखी थी वह उस कुछ समय मे देखने को मिली। ऐसा ही कुछ हाल 4 अक्टूबर को मेट्रो के शिलान्यास के समय पर भी देखने को मिला था। तो क्या इससे यह समझा जा सकता है कि कानपुर में स्वच्छता देखने के लिए मंत्रियों का आना जरुरी है। आखिर आम दिनों में तो नजारे कुछ और ही होते है। शहर की स्वच्छता अगर इसी तरह के अवसरों पर निर्भर है तो सारे स्वच्छता अभियान निरर्थक है। उन्हें स्वच्छता अभियान का नाम न देकर समायिक स्वच्छता अभियान बोलना ज्यादा बेहतर होगा।

जिंदगी के अनमोल रिश्ते

जन्म होते ही बनते रिश्ते जिंदगी के अनमोल रिश्ते पालने में झुलता बचपन नए रिश्ते संजोता बचपन औलाद बनकर जन्म लिया संग कई रिश्तों को जन्म द...