एक पल में सब कुछ बदल गया

बंधी एक अनदेखी डोर ऐसी
अब जिंदगी रही न पहले जैसी
एक पल में सब कुछ बदल गया
लोग कहते हैं तेरा ब्याह हो गया

महिनों चलती रहीं तैयारियां
लगती रहीं बुझती रहीं चिंगारियां
आखिर दिन आ गया जिसके लिए
माता पिता ने खूब पसीना बहाया

खिले खिले चेहरे दिखने लगे
चहकते हुए भाई बहन घूमनें लगे
द्वारे ढ़ोल बाजों संग आई बारात
पिता करे स्वागत ले फूलों का हार

आखिर आ ही गई अब वह घड़ी
जिसकी चाहत थी सबको बड़ी
दुल्हन दुल्हे संग  जयमाल लिए खड़ी
धड़कनें दोनों की ही थी बढ़ी

जयमाल संग खूब डीजे बजा
जमकर लोगों के बीच नाच हुआ
खा पीकर सब रहे मग्न
ऐसा रहा अभी तक का जश्न

अब रात जैसै जैसे आगे बढ़ने लगी
रस्मों की भी लगने  लगी झड़ी
दुल्हन पीली पचिया पहने थी खड़ी
मां बाप ने कन्यादान की रस्म अदा करी

फिर फेरों की शुरुआत हुई
दुल्हे संग दुल्हन थी अब चली
कर फेरे पूरे दुल्हे ने मांग जब भरी
वहीं से बिटिया फिर किसी की पराई हुई

अब आ ही गई बिदाई की वह घड़ी
जब आखें सबकी नम होने लगीं
पापा संग मां एक कोने में रोती हुई खड़ी
रोए भाई बहन भी याद कर बचपन की हर घड़ी

लड़की अब ससुराल की ओर है बढ़ी
सब दे दुआएं बेटी सुखी रहो तुम बड़ी
पर हो पाएगा जग में ऐसा तभी
जब बहु को भी बेटी मानेंगे सभी


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