सोचा था जैसा वैसा कुछ न हुआ
जब जीवनसाथी ही अपना न हुआ
जानें क्यों दिखाए सपने थे उसने
जब खुद न समझे घर कैसे हैं बसते
बड़े प्यार से हाथ मेरा था उसने थामा
कहा अब मुझे ही साथ तेरा है निभाना
फिर क्यों न टिका अपनी बातों पर वो
हे ईश्रर ऐसी सजा किसी को भी न दो
जब यही लिखा था किस्मत में मेरी
तो क्यों सपनों की बारिश थी करी
अगर यही प्यार है तो बस दुआ है मेरी
दोबारा ऐसा प्यार देना न किसी को कभी
लड़की ने तोड़ी अपनी पुरानी सब कड़ी
हाथ पकड़ एक अंजाने के संग चल पड़ी
विश्वास कर साथ उसके वो अब खड़ी
बिना सोचे आगे आएगी कैसी अब घड़ी
अब सोचती हुं गलती ऐसी भी थी क्या करी
जो खुशियां मिल न पाई संग उसके कभी
आखिर उम्मिदें उससे ही तो थी बंधी
फिर किस गलती की सजा मुझको है मिली
अंत तो क्या होगा जाने न कोई कभी
ईश्वर ऐसा किसी के साथ न हो कभी
बस अब विनती तुझसे है यही मेरी
ऐसी जिंदगी देना न किसी को कभी