गंगा के लिए कारगर कदम जरूरी



 गंगा को स्वच्छ रखने के लिए दशकों से प्रयास किए जा रहे हैं पर वह सफल  होते दिख नही रहे। इस की सफाई को लेकर हर साल बजट तैयार करा जाता है लेकिन मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीें दिखती। जिसके चलते गंगा को साफ रख सके, साफ करने की कोशिश में व्यवस्थाएं तो करी जाती है पर असल में उसके गंदा होने के कुछ मुख्य कारण हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार गंगा में गंदगी, मानक से दोगुना अधिक है। उस पर से उसमें आ रहा काली नदी का पानी उसमें और इजाफा कर रहा है। यह नदी कन्नौज के महादेवी वर्मा घाट पर गंगा में जाकर मिल जाती है। वहीं दूसरी तरफ कानपुर शहर से होकर निकली पांडू नदी भी, फतेहपुर के पास बुनीर नामक स्थान पर इसमें जाकर मिल जाती है। पांडू नदी का पानी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार इतना खतरनाक है कि उसको छुते ही शरीर में खुजली होने लगती है तो इससे अंदाजा लगा सकते है की इसका पानी हमारे लिए कितना खतरनाक है। आसपास के गंदे नालों का पानी तथा कई जिलों की गंदगी भी उस में गिराई जाती है। तो पहले यह सब रोकना चाहिए क्योंकि गंगा को साफ करने का कोई फायदा नहीं है अगर इस तरह उसमें गंदगी ही बहानी है। यह तो वही बात हो गई अगर अपना घर साफ है तो गंदगी है ही नहीं।

 गंगा में गंदगी होने का कारण स्थानिय लोग भी हैं क्योंकि लोग पूजा में इस्तेमाल किए फूल गंगा में ही विसर्जित कर देते हैं। वह फूल उसमें ही सड़ जाते हैं और उसके प्रदूषित होने का कारण बनते हैं। पहले इन कारणों पर लगाम लगाना आवश्यक है। ऐसे कानूनों का गठन करना चाहिए की लोग उसमें विसर्जन के नाम पर कचरा डालना बंद कर दें।
ऐसे हालातों को देखते हुए केंद्र व प्रशासन का सक्रिय होना आवश्यक हैं। पहले इन को रोकने के लिए कुछ सख्त कानूनों का गठन करना चाहिए। लोगों में गंगा को लेकर जागरूकता बढ़ानी चाहिए। बाद में टेनरियों को हटाने या न हटाने पर विचार करें।

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