समायिक स्वच्छता अभियान



भारत में स्वच्छता को लेकर कई स्वच्छता अभियान चलाए जाते है। वह अभियान कुछ समय के लिए तो निरंतर प्रक्रिया में चलते है फिर समय के साथ ढीले पड़ जाते है। हमारे देश में तो समायिक स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। क्योंकि अगर किसी शहर में कोई मंत्री आ रहा होता है तो इस पर पूरी तरह ध्यान जरुर दिया जाता है। कभी - कभी तो लगता है यह अभियान सिर्फ दिखावे के लिए ही होते है। हालही में 19 दिसंबर को प्रधानमंत्री के शहर के निराला नगर रेलवे ग्राउंड में आने पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। निराला नगर के आसपास के क्षेत्रों में कुछ समय के लिए फिर स्वच्छता अभियान चलाया गया। उन दिनों न तो सड़कों पर गंदगी थी और न ही रास्तों पर गढढ्े दिखाई दिए थे। जितनी सफाई वहाँ वर्षों से नहीं दिखी थी वह उस कुछ समय मे देखने को मिली। ऐसा ही कुछ हाल 4 अक्टूबर को मेट्रो के शिलान्यास के समय पर भी देखने को मिला था। तो क्या इससे यह समझा जा सकता है कि कानपुर में स्वच्छता देखने के लिए मंत्रियों का आना जरुरी है। आखिर आम दिनों में तो नजारे कुछ और ही होते है। शहर की स्वच्छता अगर इसी तरह के अवसरों पर निर्भर है तो सारे स्वच्छता अभियान निरर्थक है। उन्हें स्वच्छता अभियान का नाम न देकर समायिक स्वच्छता अभियान बोलना ज्यादा बेहतर होगा।

No comments:

Post a Comment

जिंदगी के अनमोल रिश्ते

जन्म होते ही बनते रिश्ते जिंदगी के अनमोल रिश्ते पालने में झुलता बचपन नए रिश्ते संजोता बचपन औलाद बनकर जन्म लिया संग कई रिश्तों को जन्म द...