मैं स्मृति मिश्रा

स्मृति मिश्रा 
पत्रकारिता की छात्र
           


मैं पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सम्माननीय छवि बनाना चाहती हूं। पत्रकारिता के इतने माध्यमों में मेरा रुझान प्रिंट मीडिया की ओर अधिक है, क्योंकि लिखना मेरा शौक है।  इस क्षेत्र में आने का मकसद एकमात्र यह है कि इससे मैं एक दिन वह मुकाम हासिल करूं जिसकी कल्पना मैंने भी नहीं की है। मेरे मां-पापा की दिली तम्मना है कि मैं अपने पैरों पर खडी हूं, मुझे किसी पर निर्भर न रहना पड़े। इस क्षेत्र के जरिये मैं उनकी सारी इच्छाओं को पूरा करना चाहती हूं।


पहले मुझे ज्यादा लिखने-पढ़ने का शौक नहीं था लेकिन इस दिशा की ओर बढ़ने के लिए जब से सोचा अपने आप पढ़ने-लिखने का शौक भी जाग उठा। पत्रकारिता में आना मेरा मकसद नहीं था लेकिन अब पत्रकारिता ने ही मुझे एक नया मकसद दिया है। इस राह पर बढ़ने और अपने पैरों पर खड़े होना अब जिंदगी की ख्वाहिश है। इस क्षेत्र में कुछ करने और आगे बढ़ने का सपना ही मेरे लिए प्रेरणा बना। साथ ही मम्मी पापा का साथ इस प्रेरणा को हौसला देता रहा। हालांकि इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरणा की जरूरत नहीं है बल्कि यह क्षेत्र अपने आप में खुद ही एक प्रेरणा है। 

सुना है लोगों का नाम ही उनकी पहचान होती है वैसे ही मेरा नाम ही मेरी पहचान है, लेकिन अपने नाम को पहचान देना , मेरे अंदर इस इच्छा ने उड़ान पत्रकारिता में आने के बाद ही भरी। अब बस एक ही तम्मना है जल्द से जल्द अपने मुकाम को हासिल कर अपने मां-पापा का सपना पूरा करें।

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