बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसना जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने राजस्व अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में 'ऑपरेशन क्लीन मनी' के तहत अधिकारियों को
बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया। ऑपरेशन क्लीन मनी के
तहत आईटी डिपार्टमेंट टैक्स रिटर्न भरने वाले लोगों के खातों की जांच में जुटा है
जिनमें दो लाख रुपए से ज्यादा जमा है। साल 2017-18 में जारी किए गए रिटर्न फार्म
में नए कॉलम का प्रावधान है। इस कॉलम के तहत बैंकों में दी गई जानकारी को दूसरी
वित्तीय संस्थाओं से मिले डाटा से मिलाया जाएगा। 'ऑपरेशन क्लीन मनी' का मुख्य मकसद देश से
कालाधन खत्म करना है।
वहीं इसके लागू होने के बाद पहली बार कोई कार्रवाई सामने आई। जिसमें 1000 करोड़ से अधिक बेनामी संपत्ति रखने के आरोप में राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिजनों के 22 ठिकानों पर आईटी डिपार्टमेंट की रेड पड़ी। वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे पर आईएनएक्स कंपनी जो कि इंद्राणी मुखर्जी की है उनको कानूनी सीमा से अधिक निवेश की अनुमति देने के आरोप में शिकंजा कसा गया। उन्होंने विदेशी संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) क्लीयरेंस के लिए उन्होंने पैसे लिए थे। जिसके बाद उनके मुंबई, गुरूग्राम, दिल्ली, चेन्नई व अन्य 14 ठिकानों पर छापेमारी की गई। आरोप भले ही बेटे पर लगे हैं लेकिन व्यवस्था से निपटने का काम तो पी चिदंबरम ही कर रहे हैं।
बेनामी संपत्ति से सीधा
तात्पर्य उस संपत्ति से है जब व्यक्ति अपने पैसों से किसी और के नाम पर संपत्ति
खरीदता है या उस पैसे से खरीदता है जो कि ज्ञात स्रोतों से बाहर हो वह संपत्ति
इसके दायरे में आती है। भुगतान चाहे सीधे तौर पर किया जाए या घुमा-फिराकर काम बेनामी
संपत्ति की खरीद फिरोद का ही होता है। यदि किसी करीबी व्यक्ति या किसी परिवार के
सदस्य के नाम पर भी संपत्ति खरीदते हैं तो वह भी बेनामी संपत्ति के अंतर्गत ही आता
है सीधे शब्दों में कहा जाए तो प्रॉपर्टी पर कब्जा रखने के लिए अपनाए हथकंडों
द्वारा ही बेनामी संपत्ति का जन्म होता है। यह संपत्ति किसी भी रूप में चल, अचल या दस्तावेजों के रुप
में हो सकती है।
बेनामी संपत्ति के लिए 1988 में ''बेनामी संपत्ति एक्ट'' पारित हुआ था । इस एक्ट
के तहत संपत्ति में जमीन और घर ही नहीं बल्कि सोना, शेयर और बैंक के खाते भी हैं।
इसमें 2016 में संशोधन किए गए।
संशोधन के बाद 1 नवंबर 2016 को यह पूरे देश में लागू कर दिया गया। इस एक्ट के तहत सरकार को
अधिकार है कि वह अवैध प्रॉपर्टी को जब्त कर सकता है। साथ ही दोषी पाए गए व्यक्ति
के लिए 7 साल की सजा या प्रॉपर्टी
की बाजार कीमत की एक चौथाई कीमत बतौर जुर्माना भुगतान करने या दोनों का प्रावधान
है। हालांकि पहले मूल अधिनियम में इस एक्ट के तहत 3 साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। अब जिसमें संसोधन
के बाद सजा कड़ी कर दी गई है। यदि कोई संपत्ति की गलत सूचना देता है तो उस पर
प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10% का जुर्माना हो सकता है और साथ ही 6 महीने से 5 साल तक की जेल का प्रावधान है। साथ ही यदि मालिक यह साबित करने में
असमर्थ रहा कि यह संपत्ति उसकी है तो सरकार उस संपत्ति को जब्त कर सकती है।
हालांकि नवंबर 2016 में
इस कानून के लागू होने के बाद से बेनामी संपत्ति का कोई मामला सामने नहीं आया था। वहीं अब कार्रवाई तेज करने के आदेश के बाद लालू प्रसाद यादव और पी चिदंबरम का मामला सामने आया। इस मामले जांच की जा रही है। बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने की बात सामने आ चुकी है तो जाहिर सी बात है
कि बेनामी संपत्ति धारकों ने भी इससे बचने के लिए दांव – पेंच लगाने शुरू कर दिए
होंगे। इससे पहले की वे सब इससे बच जाएं इसके लिए अधिकारियों का कम
से कम समय के अंदर इस कानून का निर्वाह किया जाना जरूरी है। ऐसे लोग किसी भी नरमी
के पात्र नहीं है क्योंकि उन्होंने यह संपत्ति अपनी काली कमाई से अर्जित की होती
है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि यह काली कमाई भ्रष्ट और अवैध तरीकों से ही पैदा
होती है। जिस से देश का सिर्फ नुकसान ही होता है क्योंकि लोग इसका सहारा सिर्फ
टैक्स बचाने के लिए ही लेते हैं। भारत में कालेधन की बढ़ती समस्या के लिए इस
कानून का सख्ती से उपयोग किया जाना आवश्यक है। क्योंकि इस बात को सभी जानते हैं कि
ज्यादातर लोग काले धन को बेनामी संपत्ति के जरिए ही खपाते हैं।
नोटबंदी के बाद गोवा में
शिलान्यास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेनामी संपत्ति की ओर इशारा करते
हुए पहले ही बता दिया था कि उन का अगला कदम बेनामी संपत्ति की ओर ही बढ़ेगा।
उन्होंने अब राजस्व विभाग से बेनामी संपत्ति वालों के खिलाफ कार्यवाही तेज करने के
लिए कहा है। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्यवाही होनी ही चाहिए और इस तरह होनी
चाहिए कि आगे आने वाले समय में यह एक उदाहरण के रूप में पेश हो। बेनामी संपत्ति के
जरिए लोग अपना काला धन छुपाने में बखूबी सफल होते हैं । एक तरह से अपने गलत कारनामों
को छुपाने के लिए लोगों ने इसे हथियार बना कर रखा है। हालांकि अब उम्मीद है ऑपरेशन
क्लीन मनी के चलते इस ओर कुछ बड़े कदम देखने को मिलेंगे।
बेनामी संपत्ति के जरिए
लोग टैक्स देने से भी आसानी से बच जाते थे। ज्यादातर भ्रष्टाचार से जमा पैसा लोग
बेनामी संपत्ति पर ही लगाते हैं ।अपना कालाधन ना छुपाने पाने की वजह से वह संपत्ति
किसी और के नाम पर खरीद कर उसे छुपाने में सफल हो जाते हैं। इसके लिए कई कड़े
कानूनों का प्रावधान भी बनाया गया था लेकिन उन पर सख्ती से अमल ना कर पाने की वजह
से ऐसी संपत्ति धारकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह अपने मंसूबों में इस
कार्य में बखूबी सफल होते रहे। बेनामी संपत्ति के जरिए देश की अर्थव्यवस्था पर भी
बहुत असर पड़ता है जो पैसा सरकार के कर खाते में जाना चाहिए इसके सहारे से लोग वह
पैसा बचा लेते हैं।
मुंबई में प्रॉपर्टी मामलों
के वकील विनोद संपत का कहना है कि अगर इस कानून का तरीके से उपयोग किया जाए तो
दिया इससे रियल इस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आ सकती है। भ्रष्टाचार कम हो
सकता है और प्रॉपर्टी की कीमतों में भी सुधार आ सकता है। लेकिन साथ ही उनका यह भी
मानना है की ऐसी संपत्तियों की निगरानी करना आसान काम नहीं है। वहीं भारत में
कानून के लागू होने का रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं है।
इस बात से सभी बखूबी अवगत
हैं कि ऐसी संपत्ति ज्यादातर भ्रष्ट नेताओं, बड़े व्यापारियों, अपने पदों का गलत इस्तेमाल करने वाले पदाधिकारियों के पास ही पाई
जाती है। इसीलिए वह आसानी से कानूनी शिकंजे से बचने में कामयाब होते हैं। ये लोग
अपना काला धन छुपाने के लिए, काले कारनामों से अर्जित रुपयों को खपाने के लिए अलग-अलग जगहों पर
संपत्ति दूसरों के नाम पर खरीदते हैं, कुछ जमीन खरीदते हैं तो कुछ अपना पैसा सोना चांदी, व शेयर खरीदने
में खपाते हैं।
इतनी बड़ी आबादी वाले देश
में जहां जनसंख्या बहुत ज्यादा है, वही करदाताओं की संख्या बहुत कम है । इससे इस
बात का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कर की चोरी अवश्य ही हो रही है। यदि सभी ईमानदारी से अपना कर चूकाएं तो देश की अर्थव्यवस्था में भी
सुधार आएगा। इससे देश के आर्थिक स्तर में भी बढोतरी होगी। अब जबकि प्रधानमंत्री ने
बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है, तो ऐसी संपत्ति धारकों को
सरकार के समक्ष अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे देना चाहिए। साथ ही इसके तहत जो भी
जुर्माना हो उसका भुगतान कर देना चाहिए। इससे वह कड़ी सजा से बच भी सकते है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
द्वारा बेनामी संपत्ति के खिलाफ छेड़ी गई जंग से सबको छत मिलने का सपना पूरा हो
सकता है। लेकिन सिर्फ उनकी अच्छी भावना से यह सपना पूरा नहीं होगा। बल्कि इसके लिए
जो कानून बने हैं उन पर भी पूरी ईमानदारी के साथ अमल होना जरूरी है। बेनामी
संपत्ति के खिलाफ उठाए गए कदमों से बदनाम प्रॉपर्टी सेक्टर में भी पारदर्शिता लाई
जा सकती है। वहीं प्रॉपर्टी की बेतहाशा बढ़ती कीमतों पर भी नियंत्रण करना संभव
होगा।
भारत में आज भी लोगों को
रहने के लिए जगह नहीं मिलती है। वहीं दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में लोग
झुग्गी-झोपड़ियों में रहने पर मजबूर हैं और अक्सर वहां से भी उन्हें निकाला जाता
है। देश की आबादी का एक तिहाई हिस्सा बेहतर रोजगार की तलाश में, अच्छी जिंदगी बिताने के लिए शहरों की ओर बढ़ रहा है। जहां उन्हें
रहने के लिए जगह त् नहीं मिलती है। भारत सरकार ने 2022 तक सबको छत दिलाने का वादा किया है। जिसके लिए शहरों में 2 करोड़ और गावों में 3 करोड़ नए घर बनाए जाएंगे।
घर बनाने का काम बेहद ही धीमी रफ्तार से किया जा रहा है। ऐसे में बेनामी
संपत्तियों पर कार्रवार्ई से कार्य गति पकड़ सकता है।
बेनामी संपत्ति के खिलाफ
शुरू हुए अभियान से निश्चित ही कुछ जाने माने लोग परेशान होंगे। ऐसे में उनके लिए
बेहतर यही होगा कि परेशान होने की जगह सरकार के समक्ष अपनी सारी बेनामी संपत्ति का
समर्पण कर कानून के शिकंजे से बचें। रियल स्टेट फर्म जोंस लैंग लासेल इंडिया के
चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है ''जब संपत्ति का मालिकाना हक
स्पष्ट होगा और लेनदेन पारदर्शी होगा तो लोगों का भरोसा बढ़ेगा, इससे खरीदारी में
भी बढ़ोतरी होगी और घरों की सप्लाई भी बढ़ेगी।''
देश की अर्थव्यवस्था के
सुधार के लिए बेनामी संपत्ति, कालाधन, भ्रष्टाचार व अन्य ऐसी खतरनाक बीमारियों से लड़ना जरूरी है। क्योंकि
यह सभी मिलकर दिमक की तरह देश की जड़ो को खोखला कर रहीं है। इसके जरिए देश में रहने
वाला पैसा बाहर के देशों में पहुंचाया जा रहा है। जिस पर की लगाम कसना बहुत जरूरी
है।
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