क्या आज भी गौ हमारी माता है

                           क्या आज भी गौ हमारी माता है ?



''विनाश काले विपरीत बुद्धि'' आजकल उक्त पंक्तियां कांग्रेस पार्टी पर चरितार्थ होती हैं। हाल ही में केरल में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं  ने मोदी विरोध के चलते सरे चौराहे पर गाय को काट करअपना असली चेहरा दिखा दिया। उन्होंने पहले गाय को काटा और फिर वहीं उसको पका कर थालियों में परसा भी। वहीं बड़े गर्व से इस को इन्होंने  बीफ फेस्टिवल का नाम दिया। ऐसी हरकतें कांग्रेस करती रही तो निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में कांग्रेस की स्थिति बद से बद्तर हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं  कि इस तरह की हरकतों से लोगों की आस्था को चोट पहुंचेगी और निश्चित ही लोग इस पार्टी से दरकिनार होंगे। कांग्रेस मोदी लहर का विरोध करने के चक्कर में कुछ भी करने को उतारू है। यहां तक कि वह लोगों की आस्था को कुचलते हुए गाय जैसे मासूम जानवर को काटने से भी नहीं चूक रहे हैं।

इस बात से कोई अनजान नहीं की गाय हिंदू आस्था का प्रतीक है। इसे हमारे हिंदू धर्म में माता का रूप माना जाता है। भारतवर्ष में मां मानकर गाय को पूजा जाता है। वहीं  हम बचपन से यह सुन कर बड़े हुए ''गाय हमारी माता है,हमको सब कुछ आता है'' वहीं अब हालातों के चलते हम यह कह सकते हैं कि ''गाय हमारी माता है,यह अब किसी को नहीं आता है''। मौजूदा हालातों में आज यह सवाल सबकी जवान पर है 'क्या गाय आज भी हमारी माता है '? अगर है तो क्या कोई इंसान अपनी माता के साथ यह व्यवहार कर सकता है। जो कि आजकल गाय के साथ में हो रहा है। कभी धर्म के नाम पर, तो कभी राजनीतिक फायदे के लिए उसको मार काट कर उसका इस्तेमाल किया जाता है। वहीं कुछ लोगों ने इनकी रक्षा के नाम पर दल बनाकर लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया।

हालही में हो रहे गाय के साथ व्यवहार को देखते हुए यह समझ पाना मुश्किल है कि क्या वाकई में हम आज हिंदुस्तान में रह रहे हैं। वह हिंदुस्तान जहां पर लंबे समय से गाय को एक मां का दर्जा दिया जाता रहा है। वहीं आज लोग इतने निर्लज्ज और कुंठित होते जा रहे हैं कि वह यह भूल जाते हैं कि वह एक मासूम जानवर है। जिसका इस्तेमाल वह अपने चंद फायदों के लिए कर रहे हैं। आखिर विश्वास नहीं होता है कि लोग इतने निर्लज्ज और कुंठित कैसे हो सकते हैं कि मानवता की बलि चढ़ाने से भी नहीं चूकते। आखिर यह सोचने वाली बात है कि क्या ऐसी बर्बरता को यूं ही माफ किया जा सकता है? जिन्होंने ऐसा घिनौना काम किया है क्या वास्तव में वह हिंदुस्तानी कहलाने के लायक है?

माना जा रहा है कि कांग्रेस यूथ पार्टी की इतनी हिम्मत इसलिए हो गई क्योंकि केरल जैसे राज्य में कम्युनिस्ट का शासन है। साथ ही वहां पर बीफ पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है। वहां पर कांग्रेस अपना दल बनाना चाह रही है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। कांग्रेस को अन्य पार्टियों का विरोध करने से पहले अपने पार्टी संगठन के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। हाल ही में हुए इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस में अब नियंत्रण खत्म हो गया है। ऊपरी शीर्ष स्तर  कुछ कह रहा है तो वहीं निचले स्तर के कार्यकर्ता दूसरी हरकतें कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण केरल में मनाया गया फेस्टिवल है। 

कांग्रेस ने उन कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया है जो इस घटना के पीछे थे। लेकिन सिर्फ उनको निलंबित करने से कुछ नहीं होगा इसका विरोध जताने का मात्र यही उपाय नहीं है। इससे हो रही निंदा को ध्यान में रखते हुए पार्टी को ऐसे कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल देना चाहिए। अगर कांग्रेस ने अपनी हरकतों को न सुधारा आने वाले हिमाचल प्रदेश के चुनाव पर भी असर पड़ सकता है।

भाजपा सरकार को भी गाय की सुरक्षा को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी। एक तरफ सरकार गाय की  खरीद फिरोद पर रोक रोक लगा रही है वहीं दूसरी तरफ स्लाॅटर हाउस को बार बार लाइसेंस दे रही है। उन्हें खुले में कत्लेआम करने के लाइसेंस दिए जा रहे हैं। अगर गाय और भैंस की खरीद फिरोद नहीं होगी तो यह स्लॉटर हाउस कैसे चलेंगे? यहां पर गाय कैसे पहुंचेगी? यहां पर मांस का निर्यात कैसे होगा? यहां पर या तो उन स्लॉटर हाउस के मालिकों के साथ धोखाधड़ी करी जा रही है या फिर हिंदुस्तान के 90 करोड़ हिंदुओं की आस्था के साथ विश्वासघात किया जा रहा है। सरकार को सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि गाय को लेकर उनकी नीति क्या है? इन्हें स्लॉटर हाउस के लाइसेंस रद्द करने चाहिए, इन्हें अवैध, असंवैधानिक घोषित करना चाहिए। इसके बाद गाय  की खरीद फिरोद पर रोक लगानी चाहिए। सरकार को अपनी दोहरी नीति में बदलाव करना चाहिए। सरकार जहां उत्तर भारत में अपना गाय को लेकर एक अलग नजरिया रखती है, वहीं असम, मेघालय, मणिपुर में एक अलग नजरिया है। वहां पर सरकार कभी गाय को लेकर कुछ खास कदम नहीं उठाती है। वहां वह कभी गाय के मांस को लेकर विरोध नहीं करती है। आखिर वह ऐसा क्यों करती है? इस बात से कोई अंजान नहीं है। वह ऐसा इसलिए करती है क्योंकि वह अच्छे से जानती है कि वहां के ज्यादातर लोग बीफ खाने वाले हैं। क्या हिंदुओं की आस्था देश काल के हिसाब से बदल जाती है? असम के हिंदुओं और उत्तर प्रदेश के हिंदुओं के बीच के अंतर को लेकर उनकी क्या नीति है? सरकार को यह निर्धारित करना चाहिए। अब अक्सर गाय पर बढ़ते अत्याचार को देखते हुए सरकार को ऐसी नीति का निर्माण करना चाहिए जिससे की गाय को ऐसी राजनीतिक क्रियाओं का सामना ना करना पड़े।

अाखिर देश में कब तक गाय को लेकर बवाल होता रहेगा? कब तक मासूम गायों  की जान जाती रहेगी? कब तक गाय को बचाने में लोगों की जान जाती रहेगी? आखिर यह अंधेरगर्दी कब तक चलती रहेगी? सरकार को इस को लेकर नई कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए जो भी कारगर हो वो करना ही चाहिए। ताकि देश की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे। 


हमेशा गाय को लेकर कोई ना कोई घटना सामने आती रहती है। वहीं तथाकथित गौरक्षक गौरक्षा के नाम पर बेगुनाह किसानों को या आम इंसान को हमेशा परेशान करते रहते हैं। ऐसी खबरें हमेशा आती रहती है अगर सरकार को वाकई में इतनी फिक्र है तो इससे जुड़ी घटनाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक कानून बनाना चाहिए। अभी कुछ समय पहले गुरूग्राम से एक मुस्लिम के साथ गौरक्षकों द्वारा की गई बर्बरता की घटना सामने आई थी। जिसमें उन रक्षकों ने उसे मार मार कर मौत के घाट उतार दिया था।

भारत में 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को काटने और उनका गोश्त खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बाकी 18 राज्यों में गौ हत्या पर पूरी आंशिक रोक है। भारत की पूरी आबादी में लगभग 90% हिंदू हैं और यह मान्यता है कि हिंदू गाय को पूजते हैं लेकिन वहीं एक सच यह भी है कि दुनिया भर में बीफ का सबसे ज्यादा निर्यात करने वाले देशों में से भारत भी एक है। जिन राज्यों में गाय को काटने पर पूर्ण प्रतिबंध है वहां गौ हत्या कानून के उल्लंघन करने पर कड़ी सजा व भारी जुर्माने का प्रावधान है। वहीं गुजरात में इसको लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं जिसके तहत गौ हत्या करने पर लोगों को उम्र कैद की सजा व गाय की तस्करी करने वालों को 10 साल की सजा का प्रावधान है।

अब समय हो चुका है कि गौ रक्षा की बातों को केवल बातों तक ही ना छोड़ा जाए। बल्कि इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून की स्थापना करना आवश्यक हो चुका है। गौ रक्षा को लेकर पूरे देश में एक समान कानून का निर्माण करना चाहिए, ताकि आए दिन देश को शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े। जहां पूरी दुनिया जानती है कि हिंदुस्तान के लिए गाय उसकी माता है। वहीं हिंदुस्तान में गाय के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है निश्चित ही वह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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