कुलभूषण मामले में सक्रिय भूमिका आवश्यक
पाकिस्तान सैन्य अदालत के फैसले को पलटते हुए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले के खिलाफ पाकिस्तान ने दोबारा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में अपील की है। अब यह देखने का विषय है कि इन का फैसला क्या आता है? लेकिन यह सच है कि पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। उसका सच पूरे विश्व के सामने आ चुका है। और शायद इसी बात से वह पूरी तरह बौखलाया हुआ है।
अब वहीं बौखलाए पाक से फैसला आने का इंतजार भी नहीं हुआ। पाक की सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अविलंब फांसी दिए जाने की मांग की गई है। उनका कहना है कि अगर उन्हें जल्दी फांसी नहीं दी गई तो वह हालात का फायदा उठाकर सजा से बच जाएंगे। पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी के नेता और राष्ट्रीय संसद के पूर्व अध्यक्ष का फारूक नाइक की ओर से याचिका अधिवक्ता मुजम्मिल अली ने दायर की है।याचिका में कहा गया है सैन्य अदालत से जुड़े नियमों के मुताबिक सजा के खिलाफ 40 दिन तक अपील की जा सकती है उसके, बाद सजा को क्रियांवित करने का प्रावधान है।
इससे यह बात साफ पता चलती है कि पाकिस्तान जाधव को फांसी देने के लिए किस कदर उतावला है। उसको कोई फर्क नहीं पड़ता कि अन्य देशों में उसकी इन करतूतों की वजह से क्या छवि बनेगी। यहां तक कि पाक ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को भी मानने से इनकार कर दिया। इससे साफ साफ दिख रहा है कि पाकिस्तान को अपनी छवि बिगड़ती छवि से कोई फर्क नहीं पड़ता वह बस अपनी मनमानी करने पर उतारू है। वहीं अब उसकी बढ़ती करतूतों को देखते हुए यह आवश्यक है कि जाधव मामले में सक्रियता बरतने की आवश्यकता है।
पिछले
वर्ष 3 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने दावा किया
कि उसने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया है। जबकि
कुलभूषण जाधव को ईरान से गिरफ्तार किया गया था। भारत का दावा था कि ईरान के एक
स्थानीय आतंकी संगठन ने कुलभूषण जाधव का अपहरण किया और अपहरण के बाद पाकिस्तान से
एक मोटी रकम वसूल करी। बाद में उन्होंने जाधव को पाकिस्तान आईएसआई को सौंप दिया।
जाधव की
गिरफ्तारी के बाद भारतीय उच्चायोग ने पाकिस्तान से दर्जनों
बार जाधव से मिलने की इजाजत मांगी थी। साथ ही जाधव के परिवार को पाकिस्तान ने वीजा
नहीं दिया और 16 बार इजाजत मांगने के बावजूद
कुलभूषण से मिलने के लिए काउंसलर एक्सेस नहीं दी गई, जो कि
सरासर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। लेकिन पाकिस्तान ने सभी अंतरराष्ट्रीय
कानून को दरकिनार करते हुए उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी। अचानक 10 अप्रैल 2017 को खबर आई कि पाकिस्तान की
सेना अदालत ने यादव को फांसी की सजा सुना दी है। हालांकि फांसी की खबर आने के बाद
भारत ने इस मसले पर कड़ा रुख अपनाया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में
कहा था कि जाधव की सुरक्षा के लिए भारत किसी भी हद तक जाएगा।
पाकिस्तान
ने कुलभूषण जाधव पर बलूचिस्तान में हिंसा आतंकवाद और जासूसी बढ़ाने
के आरोप लगाए। उसके लिए उन्होंने सैन्य अदालत के जरिए उन्हें फांसी की सजा सुना
दी। जिसके विरोध में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फांसी पर रोक लगाने के लिए अपील दायर की। जिस पर कि
आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है।
अंतरराष्ट्रीय
अदालत में भारतीय सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे ने इस केस के लिए मात्र एक रुपए फीस के तौर पर लिए। साथ ही बहुत ही
दमदारी से अपना पक्ष रखा और पाकिस्तान की सारी दलीलों को बेफिजूल साबित करते हुए
उसे सबक सिखाया।
पाकिस्तान
का व्यवहार भारत के लिए हमेशा शत्रुतापूर्ण रहा है | उसने
जाधव के साथ जो कुछ किया उसमें कोई आश्चर्य नहीं है। पाक ने जाधव पर मनगढ़ंत आरोप
लगाकर कर एकतरफा कार्रवाई की जो उस के बयानों से स्पष्ट भी हो रहा है | पाक ने कहा है कि जाधव गिरफ्तारी के समय 3 मार्च 2016 को भारतीय नौसेना में
कमांडर थे और मजिस्ट्रेट के सामने उन्होंने रॉ के एजेंट होने की बात को भी
स्वीकारा है। पाक का कहना था कि जाधव ने अपना नाम बदलकर हुसैन मुबारक पटेल कर लिया
था, जबकि सच यह है कि उन्होंने नौसेना से तय समय से
पूर्व सेवानिवृत्ति ले ली थी और अब वह व्यवसाय करते थे।
अभी हाल
ही में पाकिस्तान के एक हाई कोर्ट ने बताया कि सारे भारतीय जो
जेल में बंद है वह राॅ के एजेंट नहीं है उन सभी कैद भारतीयों को छोड़ा जाए और वापस
उनके देश में भेजा जाए। ऐसे में पाकिस्तान आर्मी और पाकिस्तान की सरकार के
क्रियाकलाप पर सवाल उठना लाज़मी। वहीं जब कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया गया तो
उनके पास से उनका असली पासपोर्ट बरामद किया गया था,
जो कि
पाकिस्तान ने जुठला दिया। उसने दावा किया कि जाधव के पास से जारी पासपोर्ट बरामद किए गए हैं।
वहीं सरताज अजीज ने 7
सितंबर को एक बयान दिया था, उनके बयान पर
ध्यान दे तो उन्होंने स्वयं कबूल किया था कि जाधव के खिलाफ कोई सबूत नहीं है उसके
खिलाफ सिर्फ कुछ बयान ही हैं | सरताज अजीज ने यह बात पाक
सीनेट में कही थी| ऐसी कई बातों से साफ प्रतीत
होता है कि जाधव को केवल भारतीय होने की सजा मिल रही है | साथ ही इससे साफ – साफ कि पाक सिर्फ
अपनी शत्रुता का परिचय दे रहा है।
असल में कुलभूषण जाधव को जासूस करार दे कर फांसी की सजा सुनाने के पीछे एक वजह और भी मानी जा रही है। पिछले दिनों नेपाल के लुंबिनी से पाकिस्तानी सेना का एक पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल के गायब होने की बात सामने आई थी। 6 अप्रैल से पाकिस्तानी सेना का एक पूर्व अधिकारी भारतीय सीमा से सटे नेपाल के लुंबिनी इलाके से गायब हो गया था। सूत्रों के मुताबिक पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मह हबीब जहीर लुंबिनी में एक नौकरी के इंटरव्यू के लिए गया हुआ था। लेकिन उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला कि वह कहां गायब हो गया। काठमांडू स्थित पाकिस्तानी एंबेसी ने नेपाल सरकार से मोहम्मद हबीब को ढूढ़ने की अपील की थी। इसलिए उनके घर वालों ने आरोप लगाया किमोहम्मद हबीब को भारतीय गुप्तचर एजेंसियों ने उठाया है। उन्होंने शक जताया कि भारतीय एजेंसियों को शक था कि मोहम्मद हबीब भारत विरोधी गतिविधियों के संचालन करने के इरादे से लुंबिनी पहुंचा था जिसकी कि भारतीय एजेंसियों को भनक लग गई थी और उसके बाद से ही हबीब लापता है।
कुलभूषण जाधव का कई वर्षों
से ईरान और भारत के बीच व्यापार चल रहा था। इसीलिए व्यापार
के सिलसिले में वह अक्सर ईरान जाया करते थे। वहीं ईरान का एक स्थानीय नागरिक उनका
सहयोगी कारोबारी भी था और अक्सर वह कारोबार के सिलसिले में अफगानिस्तान और ईरान जाया करता था। उसी दौरान उन्हें अगवा कर लिया गया था उसके बाद पाकिस्तान ने कुलभूषण
जाधव पर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाया।
यह सब पाक ने विश्व में दिन प्रतिदिन उसकी खराब हो रही छवि से बचने के लिए किया। इसके
लिए उसने कुलभूषण जाधव को मोहरा बनाया। क्योंकि
जनवरी में पठानकोट एयरबेस में जो हमला
हुआ था
उसके बाद पाकिस्तान चारों तरफ बेनकाब हो रहा था। उससे बचने के लिए पाकिस्तान ने
कुलभूषण को अपना मोहरा बनाया और पाक ने पूरे विश्व में यह दिखाने की कोशिश की कि
भारत बलूचिस्तान को अशांत करने के लिए कुलभूषण जाधव जैसे एजेंटों को पाकिस्तान में
सक्रिय कर रहा है। जिससे कि पाकिस्तान की अखंडता एकता बरकरार ना रहे। कुल मिलाकर
पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को अपना मोहरा,
वैश्विक
तौर पर अपनी खराब हो रही छवि से उभरने के लिए बनाया।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब पाक ने निर्दोष भारतीय नागरिकों के प्रति ऐसा किया है। इससे पहले भी पाक कृपाल सिंह ,सरबजीत सिंह ,चमेल सिंह को मौत के घाट उतार चुका है| लेकिन भारत का पाक प्रति रवैया नहीं बदला जिसका नतीजा यह हुआ कि आज कुलभूषण को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा | यदि उस समय की सरकारें सरबजीत सिंह ,चमेल सिंह, कृपाल सिंह के मामले पर आक्रामक रुख अपनाती तो शायद आज कुलभूषण को यह दिन नहीं देखना पड़ता।
पिछले कुछ समय में ये माना जा रहा था कि भारत और पाक के रिश्ते सुधर रहे हैं। उनके दरमियां नए रिश्तों का आगाज हो रहा है लेकिन वहीं पाकिस्तान ने उरी हमला कर यह साबित कर दिया कि वह ना कभी सुधरा था और ना ही कभी सुधरेगा। इस हमले के बाद में पाकिस्तान दुनिया में चारों ओर बेनकाब हो रहा था, उसकी सच्चाई हर कोई जान चुका था। तो वहीं उस छवि से बाहर निकलने के लिए, अपने आप को बेचारा दिखाने के लिए पाक ने कुलभूषण जाधव के खिलाफ साजिश रच उन्हें अपना मेहरा बनाया। हालांकि भारतीय सरकार ने भरपूर कोशिश की कि जाधव के साथ नाइंसाफी ना होने पाए।वहीं अब जबकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण मामले में उनकी फांसी पर अंतरिम रोक लगा कर राहत दी है। सरकार को और भी सक्रिय भूमिका का प्रदर्शन करना चाहिए ताकि वह जल्द से जल्द जाधव को वापस अपने वतन ला सके। साथ ही पाकिस्तान के सामने ऐसा उदाहरण पेश करें कि आगे वह ऐसी कोई भी साजिश रचने से पहले सौ बार सोचे।
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