सोच बदले देश बदलेगा

वैसे तो कहते हैं नेता देश को आगे बढ़ाने की बात करते हैं व देश के युवाओं के लिए मार्गदर्शक होते हैं। परंतु असल में हकीकत कुछ और ही प्रतीत हो रही है। हालही में बेंगलुरू में नए साल के जश्न के दौरान एकत्रित हुई युवतियों से हुई छेड़छानी को लेकर कई विवादित बयान सामने आए। सबसे पहले कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वरम ने बयान दिया जिसमे उन्होंने इस घटना का जिम्मेदार पश्चिमी सभ्यता को ठहराया है। वैसे तो देश के विकास की बात पश्चिमी विकास को देखकर व उनके उदाहरण देकर ही करी जाती है। पर लड़कियों को लेकर पश्चिमी सभ्यता को गलत ठहराया जाता है। एक सभ्यता को लेकर यह कैसे दोहरे विचार है। वहीं अब सपा नेता अबू आजमी ने जी परमेश्वरम का समर्थन करते हुए कहा है “लड़के - लड़कियों को इधर - उधर घूमने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पश्चिमी संस्कृति ने भारत में दखल दे दी है। इसे रोकना होगा। उनका कहना है की जहां चीनी होगी वहां चीटियां तो आएंगी ही”। अबू आजमी के मुताबिक लड़कियों के छोटे कपड़े ऐसी वारदात के जिम्मेदार हैं। अपने ऐसे बयानों से क्या वह शरियत कानून को थोपना चाहते हैं। इनके ऐसे बयान कट्टरपंथी फतवे जैसे है। नेताओं के ऐसे भड़काऊ बयान से मनचलों को तो खुली छुट मिलेगी। ऐसा मार्गदर्शन पा कर वह देश को किस राह पर ले जाएंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। पीड़ित इंसाफ की गुहार लगाने किनके पास जाएंगे जब वह ऐसी सोच रखते हों।
अगर ऐसी वारदातों के लिए पश्चिमी सभ्यता ही जिम्मेदार है तो पहले नेता यह बताएं की वह अपने बच्चों को शिक्षा के लिए पश्चिम क्यों भेजते हैं। क्या वह अपने साथ पश्चिमी सभ्यता को साथ लेकर नहीं आएंगे। नेता चाहें किसी भी पार्टी के हो पर अक्सर ऐसी वारदातों पर सब एक दूसरे के बयानों का समर्थन करते हैं। तो यह कहा जा सकता है कि “सब एक थाली के ही चट्टे बट्टे हैं। जब देश को चलाने वालों की सोच ऐसी होगी तो देश में चलने वालों को दोष कैसे दे सकते हैं। इन मनचलों को सजा मिलने के साथ साथ कार्रवाई ऐसे नेताओं पर भी अवश्य होनी चाहिए। नही ंतो देश की महिलाएं अपने देश में ही सुरक्षित नहीं रह पाएंगी।  

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