कानपुर का जाम है आम


कानपुर का जाम है आम

कानपुर में रोजमर्रा की समस्या की बात करें तो समस्याओं की कमी नहीं  है। फिर वह चाहे गंदगी हो या प्रदूषण सभी अपने चरम पर हैं। वहीं कानपुर की समस्याओं में  एक बड़ी समस्या जाम की भी है। कानपुर के रास्तों पर जाम तो अब आम होता जा रहा है। यहां के लगभग हर रास्तोंहर चौराहों पर लोगों को इस समस्या का सामना तो करना ही पड़ता है। यूं भी कह सकते हैं कि जाम तो अब लोगों की रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। लोग सुबह घरों से निकलने के पहले ही सोच लेते हैं कि रास्तों पर उन्हें जाम का सामना तो करना ही पड़ेगा। जाम की परेशानी इतनी ज्यादा है कि लोग इससे छुटकारा पाने की कल्पना भी नहीं करते हैं। वहीं प्रशासन भी इसके लिए इतना सक्रिय नहीं दिखता हैजितनी की जरूरत है।


हालांकि जाम की समस्या के लिए केवल प्रशासन ही नहीं जिम्मेदार हैबल्कि स्थानीय लोग भी इसके बराबरी से भागीदार हैं। कोई भी परेशानी हो उसको लिए हम सीधे प्रशासन को ही दोषी ठहराने लगके हैं। लेकिन रास्तों पर जाम लगाने प्रशासन तो नहीं आता है। जाम तो रास्तों पर आने जाने वाले लोगों की वजह से ही लगता है। यदि वह यातायात नियमों का सही से पालन करे तो श यद उन्हें इतनी परेशानियों का सामना न करना पड़े। वर्किंग डेज की बात करें तो रोज सुबह लोग  ऑफिस और स्कूल के लिए निकलते हैं, सब बहुत जल्दी में भी होते हैं। वहीं  लोगों की यही जल्दबाजी इस समस्या को और भी बढ़ा देती है।


कहां कहां जाम लगता है -

अगर रास्तों पर जाम की बात करें तो कुछ इलाकों में जाम की परेशानी चरम सीमा पार कर चुकी है। जिनमें अफीम कोठी चौराहाजरीब चौकीरावतपुर शामिल हैं। इन सभी जगहों पर ऐसा कोई भी दिन नहीं होता हैजिस दिन जाम न लगे। वहीं फजलगंजचुन्नीगंज जैसे रास्तों पर हर रोज सुबह लगभग फैक्ट्री जाने वालों का आना जाना अधिक होता है। वहीं इन रास्तों पर भी अक्सर जाम लगा रहता है। वहीं दक्षिण में अगर बात करें तो नौबस्तारामादेवीहमीरपुर रोड पर रोजाना सुबह से ही जाम लगने लगता है। हमीरपुर रोड व रामादेवी पर ट्रकों का आवागमन अधिक होता है इसीलिए  इन रास्तों पर जाम लगने का यह एक बड़ा कारण हैं। वहीं शहरों की तरफ मेस्टन रोडबड़ा चौराहा जैसे रास्तों पर जाम की समस्या अधिक बनी रहती है। 


जाम के मुख्य कारण -

जाम की बढ़ती समस्या के बहुत से मुख्य कारण हैं। जिनकी वजह से यह समस्या एक बड़ा रूप लेती जा रही है। जाम लगने का सबसे प्रमुख कारण अतिक्रमण है। शहर के लगभग हर रास्तों पर सब्जी मंडी देखने को मिलती है। वहीं रास्तों के किनारे-किनारे यह लोग सब्जी व फलों के ठेले लगाएं मिलते हैं। इनके ठेले लगभग आधे रास्ते को घेर लेते हैं और इसी कारण रोड पर कम जगह बचती है। इसीलिए ऐसी जगहों पर लोगों को जाम की परेशानी झेलनी पड़ती है। अतिक्रमण की बात करें तो यह इतना ज्यादा है कि लोग फुटपाथ को भी नहीं छोड़ते हैं।


जाम लगने का एक कारण पार्किंग की समस्या भी है। शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां पार्किंग की कोई भी सुविधा नहीं है। जैसे गुमटी नंबर 5 को ही ले लीजिए। यह एक बड़ी बाज़ार हैयहां बहुत सी बड़ी बड़ी दुकानें हैंलेकिन उनके बाहर पार्किंग को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए  हैं। इसीलिए यहां पर अक्सर जाम लगता है।


इसका एक कारण लोगों की लापरवाही भी है। चाहें पुलिस हो या स्थानीय लोग दोनों ही इस समस्या के बढ़ने का कारण है। रास्तों पर अक्सर ही ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही दिखती है। वहीं कई जगहों पर ट्रैफिक पुलिस होती ही नहीं है। साथ ही रास्ते पर आने जाने वाले लोग भी इतनी जल्दबाजी में कि अक्सर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं। वह तो बस जल्द से जल्द वहां से बाहर निकलने के चक्कर में पड़े रहते हैं। वहीं प्रशासन भी इस समस्या से अनजान नहीं है, लेकिन फिर भी वह सोता रहता है।

रास्तों पर बढ़ते जाम का एक कारण बढ़ते ई-रिक्शाऑटो रिक्शा और टेंपो भी हैं। अक्सर इनके चालकों को नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है। रिक्शा व टेंपो चालक वाहनों को कहीं से भी निकालने का प्रयास करते हैं। फिर चागें वह खुद ही फंस जाएं। वह यह भी नहीं देखते हैं कि जिस तरह से वह निकलने की कोशिश कर रहे हैं उनके कारण अन्य लोगों को परेशानी होती है।


जाम की समस्या तो बहुत बड़ी है, इसका एक कारण बिगड़ा यातायात भी है।  इसके सुधार के लिए पुख्ता कदम उठाए जाना बहुत जरूरी है। इससे निपटने के लिए यातायात नियमों का सही से पालन होना बहुत जरूरी है।

क्या – क्या उपाय किए गए

यातायात के सुधार के लिए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) बनाया गया था। इनकी शुरूआत मार्च में होनी थी। इसके लिए कई बैठकें की गई लेकिन उनका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। खराब नेटवर्क की वजह से सिस्टम अब बस शोपीस बने खड़े हैं।  



यातायात में सुधार करने व उसका उल्लंघन रोकने के लिए केडीए ने 12 चौराहों पर पीटूजेड कैमरे और दो जगह रेड लाइट वॉयलेशन डिटेक्टर कैमरा लगाए थे। इनकी मदद से ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने वालों के घर आटोमेटिक जेनरेट चालान पहुंच जाएंगे। वॉयस मैसेज की व्यवस्था भी हैजिससे कहीं जाम या किसी वाहन के भागने पर उसके अगले चौराहे पर पकड़ने के लिए आगे की पुलिस को अलर्ट किया जा सकेगा। बीएसएनएल ने ब्रॉडबैंड के जरिए कैमरों को यातायात भवन के पास बने कंट्रोल रूम से जोड़ दिया हैलेकिन खराब नेटवर्क के चलते दिक्कत आ रही है। इसके साथ ही कई कैमरों व सेंसर की नेटवर्किग नहीं हुई है।


      यदि इन सभी समस्याओं को हल कर दिया जाए तो जाम की इस बड़ी समस्या से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए जहां प्रशासन का सक्रिय होना जरूरी है, तो वहीं शहर वासियों का जागरूक होना भी उतना ही जरूरी है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो लोगों को ऐसे ही इस समस्या से जूझना पड़ेगा। 








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