डाटा चोरी एक बड़ा खतरा


डाटा चोरी से हो रही चुनावी धांधली, लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा



फेसबुक से डाटा चोरी होने के समाचार ने  फेसबुक यूजर्स में सनसनी फैलाने के साथ ही फेसबुक प्रोफाइल की गोपनीयता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। डाटा की चोरी से चुनावी धांधली की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। इस मामले में ब्रिटेन की कंपनी ''कैंब्रिज एनालिटिका '' (सीए) पर आरोप लगा है कि वह फेसबुक के जरिये डाटा चोरी का काम करती है। जिसके माध्यम से  वह चुनाव में लोगों के विचारों को प्रभावित करते हैं।

 कंपनी के पूर्व रिसर्च प्रमुख क्रिस्टोफर वाइली ने  ब्रिटेन की एक संसदीय समिति के समक्ष स्वीकार किया है कि सीए के ग्राहक भारत के राजनीतिक दल भी हैं , जिनमें कांग्रेस भी शामिल हैउन्होंने दावा किया है कि कंपनी  के पास भारत के हर गांव का डाटा है। वाइली के इस बयान ने भारत की चुनावी प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ होने के संकेत भी दिए हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि यह देश के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।

 आज दुनिया भर में संचार तकनीक के जानकार लगभग लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। डाटा चोरी होने की खबर से वे आश्चर्यचकित हैं और उनके  विश्वास को भी झटका लगा है। तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को सरल बना दिया है। बढ़ती तकनीकियों से बहुत सारी मुश्किलें आसान हो गई हैं। जहां मशीनों के उपयोग से लोगों का समय बचता है, वहीं सोशल मीडिया से संचार प्रक्रिया भी तेज हुई है।

फेस बुक एक ऐसा संचार माध्यम है जिसने देश और विदेशों के बीच की दूरियों को कम करने का काम किया है। व्हाट्सएप्प, , इंस्टाग्राम आदि इसके प्रसिद्ध उदाहरण हैं। आज के समय में फेसबुक जहां लोगों के मनोरंजन का कारण है वहीं लोगों के लिए यह जानकारी हासिल करने का भी माध्यम बना हुआ है। लोग फेसबुक के संबंधित एप्स का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें डाउनलोड करने के लिए वह अपनी निजी जानकारियां साझा करते हैं। लेकिन वह इस बात से अंजान हैं कि फेसबुक से मिली सुविधा जहां उनके लिए फायदेमंद है वहीं यह उनका नुक्सान भी कर सकती है।

क्या है डाटा चोरी मामला ?
  
फेसबुक से डाटा चोरी होने के मामले ने तब तूल पकड़ा जब यह पता चला कि 2016 में अमेरिकी चुनाव में, फेसबुक के पांच करोड़ यूजरों के डाटा से मिली जानकारी  का इस्तेमाल  डोनाल्ड ट्रंप को जिताने के लिए  किया गया है। उन जानकारियों के जरिये लोगों के विचारों को प्रभावित किया गया था। इस बात के सामने आने के बाद अमेरिकी  ग्राहकों के हितों की रक्षा से जुड़ी एजेंसी 'फेडरल ट्रेड कमीशन' ने फेसबुक के खिलाफ जांच शुरू की है। साथ ही ब्रिटेन और यूरोपीय कमीशन में भी फेसबुक के खिलाफ जांच शुरू की गई है।

कैसे डाटा चोरी किया गया ?

कैंब्रिज एनालिटिका ने डाटा चोरी का काम एक अन्य कंपनी 'ग्लोबल साइंस रिसर्च' (जीएसआर) की एक एप के जरिए किया था। ग्लोबल साइंस रिसर्च ने 'दिस इज योर डिजिटल लाइफ ' नाम के एक एप को प्रस्तुत किया । यह एक पर्सनॉलिटी क्विज एप थी। इस एप को 2.70 लाख लोगों ने डाउनलोड किया था। इस ऐप को डाउनलोड करते ही फेसबुक यूजर्स के डाटा स्वत: कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी तक पहुंच जाते थे। कैंब्रिज एनालिटिका डाटा का उपयोग संबंधित देश के नागरिकों के व्यवहार, उनकी पसंद-नापसंद को समझने के लिए करती थी।  इसका अध्ययन करने के बाद वह इसकी जानकारी अपने ग्राहक राजनीतिक दलों को देती थी। जिसके आधार पर वह दल अपनी चुनावी रणनीति तैयार करते हैं।

  सोशल मीडिया से डाटा चोरी करने का काम लोगों की राजनीतिक पसंद-नापसंद को जानने के लिए किया जाता है। राजनीतिक दल लोगों कि पसंद नापसंद को जानकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार करते हैं। फिर उसी के जरिये सुनियोजित अभियान चलाकर लोगों की सोच को, विचारों को प्रभावित करने का काम करते हैं। यदि  ऐसा है  तो निश्चित ही  यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। इसके लिए समय रहते उचित कदम उठाने की जरूरत है जिससे कि फेसबुक पर लोगों के खोए हुए विश्वास को वापस कायम किया जा सके।

कैंब्रिज एनालिटिका का इंडिया कनेक्शन ?

भारत में कैंब्रिज एनालिटिका की सहयोगी कंपनी 'ओवलेने बिजनेस इंटेलिजेंस' (ओबीआई) है। इस कंपनी से जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी जुड़े हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी की वेबसाइट पर क्लाइंट के तौर पर बीजेपी,  कांग्रेस और जेडीयू का जिक्र भी दिया गया है। लेकिन जब कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगे तो इस साइट को भी ब्लॉक कर दिया गया। । साथ ही यह भी पता चला कि कैंब्रिज एनालिटिका भारत में स्ट्रैटजिक कम्यूनिकेशंस लेबोरेटरी (एससीएल) के जरिये सक्रिय थी। एससीएल की पैरेंट कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ही थी। सूत्रों के अनुसार 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने ओवलेनो बिज़नेस इंटेलिजेंस की मदद ली थी। कंपनी का दावा था कि जहां-जहां टारगेट किया गया उसमें से 90 फ़ीसदी सीट पर जीत मिली थी। इस चुनाव में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की जीत हुई थी। ऐसे ही 2012 में एससीएल ने एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए जातिगत सर्वे व बदलने वाले वोटरों के व्यवहार का विश्लेषण किया था।


विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद  की फेसबुक को चेतावनी

फेसबुक से चुनावी धांधली की आशंका के बाद रविशंकर प्रसाद ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि यदि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने इससे जुड़ी कोई भी शिकायत आने पर जरूरी कदम उठाने के संकेत भी दिए हैं।
  रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक को चेतावनी दी है कि वह भारतीय कानून को हल्के में ना लें। उन्होंने कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को समन भेजकर भारत बुलाने की धमकी भी दी । साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल साइट्स के ग्राहकों के हितों की रक्षा को लेकर जो नियम कानून हैं उनकी नए सिरे से समीक्षा की जाएगी और यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सोशल मीडिया साइट्स भारत में भारतीय कानूनों के हिसाब से ही चलें।

डाटा चोरी पर मार्क जुकरबर्ग ने मांफी मांगी

डाटा चोरी होने के मामले में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने माफी मांगी है,  उन्होंने कहा है कि लोगों के विश्वास के साथ जो खिलवाड़ हुआ है, वह उसके लिए बेहद शर्मिंदा हैं। अपनी गलती को स्वीकारते हुए उन्होंने ग्राहकों से जुड़ी जानकारी की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने  की बात भी कही है। जुकरबर्ग ने बताया कि डाटा चोरी से निपटने के लिए फेसबुक उन सभी एप्स की पड़ताल करेगा जिनके पास बड़े पैमाने पर लोगों की जानकारी मौजूद है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि कोई डेवलपर निजी जानकारी से छेड़छाड़ करता पाया गया तो, उसे आजीवन बैन कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फेसबुक पर ग्राहकों के लॉग-इन करने के तौर-तरीकों में भी बदलाव किया जा रहा है।

   सोशल मीडिया से डाटा चोरी कर चुनावी प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ को रोकने के लिए समय रहते उचित कदम उठाने की जरूरत है । जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे। साथ ही इसका ध्यान दिया जाना भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी परिस्थितयां दोबारा न उत्पन्न होने पाएं।




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