भारत में सदियों से नारी के सम्मान की बातें होती आ रही है। नारी को सबसे ऊँचा दर्जा देने की बात कही जाती रही है। पर अब तो नारी के लिए हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं। नारी का सम्मान यह तो अब बस किताबों में या तो नेताओं के भाशणों में ही रह गया है। लोग जिस नारी का सम्मान करने की बात कहते है उसे ही सरेआम बेइज्जत भी करते हैं। देश में नारी सशक्तिकरण को लेकर बातें तो बहुत होती हैं पर उसे सशक्त बनाने के लिए शायद ही कुछ किया जाता है। बल्कि असल में तो उस पर शक्ति दिखा उसे और कमजोर साबित किया जाता है। आज की हकीकत यह ही है कि अब कहीं भी नारी सुरक्षित नहीं है उसका घर के बाहर निकलना दूभर हो गया है। हालही में मैनपुरी शहर में एक महिला को बुरी तरह पीटने की बात सामने आई है। उससे यह तो पुर्णंतः साबित होता है कि यह नारी सशक्त देश का उदाहरण तो नहीं है। ऐसे ही हादसों के कारण रास्तों पर लड़कियाँ घर से निकलने के पहले दस बार सोचने पर मजबूर हो जाती है कि वह सूरक्षित वापस लौटेंगी भी की नहीं । बिना छेड़छाड़ वह रास्तों पर निकल भी पाएंगी। एक तरफ जहां देश में बेटियों को आगे बढ़ाने की बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ ऐसे कुछ लोगों की वजह से वही बेटियाँ पीछे रह जाती है। यह हालात किसी एक शहर के नही बल्कि हर दूसरे शहर के हैं । कहीं कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है की ऐसे हादसों को होने से पहले रोका जा सके। जब तक की कोई दूसरी निर्भया न सामने आ जाए। ऐसे हादसों के कारण देश को हमेशा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
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