जिंदगी का रुख यूं बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
वक्त मेरा यूं बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
कल तक चली थी जिन सपनों की
डोरी को थाम
कभी वो सपना भी बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
बैठे बैठे मैंने भी थे कई
सपने बुने
सोचा था कांटों के बीच
फूल हम भी चुने
पर जिस बागबान की ओर
थे हम चले
उसका रास्ता भी युं बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
सब कहते थे देख मेहनत मेरी
कल तू भी कुछ करेगी
अगर ऐसी ही लग्न के साथ
इस पथ पर चलेगी
हर दिन करी तैयारियां
कि उस लक्ष्य को पा हम सके
पर वो लक्ष्य ही यूं बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
आज हुं निराश अगर तो
कसूर है सिर्फ मेरा
मंजिल थी सामने उसे खुद
से ही न कह दिया
तो दोष अब इसमें किसी का है कहां
बस सोचती हुं यही आज
मेरा वक्त यूं बदल जाएगा
मैंने सोचा न था
वो लक्ष्य यूं छिन जाएगा
मैंने सोचा न था
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